तो क्या कांग्रेस की तरह भाजपा भी भारत मुक्त होने की तरफ

तो क्या कांग्रेस के बाद भाजपा भी भारत मुक्त हो सकती है ?---मोदी विजय का अमर फल खाकर नहीं आये फिर भी भाजपाई नीति का स्वरुप कांग्रेसी --भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सदैव के लिए विजय की अमरता का फल खाकर नहीं आए लेकिन भाजपा के दिग्गज इंदिराजी के समय की कांग्रेस का चरित्र दोहराने का प्रयास कर रहे हैं इंदिरा जी के चरम उद्भव के समय जिस तरह प्रत्येक राज्य में इंदिरा जी के नाम पर चुनाव लड़े जाते थे कुछ यही हल भाजपा का है इंदिरा जी के समय में शिखर तक पहुंची कांग्रेस आज जिस हाल में है उससे कोई अपरिचित नहीं है एक विधायक सीट पर कांग्रेस सोच समझकर प्रत्याशी खड़े करती है उसके बाद भी कांग्रेस अपने गिरते ग्राफ को रोकने में असफल रही है क्या भाजपा का भी यही हश्र होने वाला है क्योंकि पहले जो भी चुनाव मोदी के नाम पर लड़े गये उनमे विजय मिली लेकिन पिछले 1 वर्ष में मोदी के नाम पर जो भी चुनाव लड़े गए उनमे या तो हार मिली या अधकचरी विजय ही मिल पाई कर्नाटक,हरियाणा,बिहार.पंजाब.राजस्थान.मध्यप्रदेश.छत्तेस गढ़ सहित अनेक ऐसे राज्य हैं जहाँ भाजपा को दुखदायी गठबंधन विजय ही प्राप्त हो सकी महाराष्ट्र में तो भाजपा की जो किरकिरी मिली सब जानते हैं वर्तमान अमला दिल्ली का है जहाँ चुनाव होने वाले हैं लेकिन उसमे मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार नहीं है लेकिन देश की राजधानी होने के बावजूद भाजपा के पास दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार नहीं होना भाजपा की कांग्रेसी संस्कृति को दर्शाता है साथ ही यह भी इंगित करता है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्त्ता अब संघर्ष जीवी के स्थान पर सत्ता भोगी हो चुके हैं ऐसे में अकेले मोदी कितने दिन भाजपा को सत्ता दिला पायेंगे देखना शेष है गिरती अर्थव्यवस्था,बढती बेरोजगारी के बीच अनुच्छेद 370 सी ऐ ऐ सहित अनेक विषयों पर देश की अशांत जनता को विश्वास में लेना मोदी के लिए आसान नहीं हैविश्व स्तर पर मोदी देश के लिए संजीवनी बन राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक बने हैं लेकिन भूखे पेट और बढती अशांति भाजपा के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है जिससे निबटना मोदी और भाजपा के लिए आसान नहीं होगा


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पूतसपूत तो का धन संचय पूत कपूत तो का धन संचयपूत कपूत तो का धन संचय -पूत सपूत तो का धन संचय --जब में बहुत छोटा था तो मेरे दादाजी की कही ये बात मुझे याद है जिसका मतलब है यदि बेटा योग्य है तो धन क्या कमाना वह खुद संचित कर लेगा और बेटाअयोग्य है तो किसके लिए धन कमाना वह कमाए हुए को ही बर्बाद कर देगा आज यही स्थिति नारायण राणे और कैलाश विजय वर्गीय सहित अनेक माता पिताओं की है की है बेटे के कृत्यों से उनकी इज्जत और सम्मान को ठेश लगी है और सबसे अधिक ठेश तो उन माता पिता की इज्जत और सम्मान को लगी जिनके बेटे दुष्कर्म ,बलात्कार,बह्शियत और हैवानियत जैसे अपराधों में लिप्त हैं इज्जत और सम्मान की बात करें तो जिन माँ बाप के बेटे आतंकी बन गए उनके परिवार की शाख और इज्जत भी दाव पर लगी है भगवान् बेटे तो दे लेकिन ऐसे कपूत ना दे जिनके कारण माता पिता की इजत और सम्मान को ठेश पहुचती है
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लीक से हटकर उद्धव लीक से हटकर --ठाकरे के मंत्री मंडल में बेटे आदित्य का शामिल होना बहुत सारे लोगों को हज़म नहीं हो रहा है आदित्य पहली बार विधायक बने हैं अनुभवहीन हैं और पिता मुख्यमंत्री हैं ऐसे में आदित्य को मंत्री बनाना और वह भी कैबिनेट मंत्री बनाना (जैसी चर्चा है)कोई अच्छा सन्देश नहीं कहा जा सकता मुझे तो ध्यान नहीं आता कि पहले किसी पिता के मुख्यम्न्त्रिकल में उसके बेटे को मंत्री पद दिया गया हो यदि जवाहरलाल नेहरु जी को छोड़ दिया जाए तो और किसी भी प्रधान मंत्री ने भी अपनी कैबिनेट में किसी बेटा या बेटी को मंत्री नहीं बनाया सुना गया है कि योगी आदित्य नाथ ने आज के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के पुत्र नीरज को मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे राजनाथ सिंह ने कठोरता से ख़ारिज कर दिया शिवसेना के मुख्य मंत्री श्री उद्धव ठाकरे आदर्श और उच्च मानदंडों को स्थापित करने की दुहाई देती है लेकिन बेटे को मुख्यमंत्री बनाकर वे कौन से उच्च मान दंडों और परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं
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