पत्रकार समाज का दर्पण --बहुत समय पहले मेरे एक स्वर्गवासी मित्र कहा करते थे कि पत्रकार समाज का दर्पण अथवा आयना होता है मैं भी एक छोटा सा पत्रकार हूँ जो पिछले लगभग 50 वर्षों से एक साप्ताहिक समाचार पत्र भ्रष्टाचार के स्तम्भ का नियमित अनियमित रूप से प्रकाशन कर रहा हूँ मुझे समाज के आयने में जो दिखाई देता है वही लिखता रहा हूँ मुझे कभी कांग्रेसी समझा गया कभी मोदी भक्त समझा गया कभी भाजपाई और कभी कांग्रेसी माना गया अपने विवेक से समझने को प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र है लेकिन सत्य केवल यही है कि मैं केवल एक पत्रकार हूँ समय असमय बनती बिगडती सभी सरकारों में लगभग सभी जगह मेरे सम्पर्क भी रहे हैं राजस्थान सरकार से विज्ञापनों सहित सभी सुविधा होने के बावजूद मैं किसी भी सरकार में किसी के पास भी कभी विज्ञापन लेने नहीं गया क्योंकि विज्ञापन सच लिखने में रूकावट का काम करते हैं और सच लिखने अथवा बोलने से मैं कभी पीछे नहीं हटा और आज भी मैं अपने इस कदम पर अडिग हूँ मुझे जो उचित लगता है वही लिखता हूँ वह किसको पसंद आता है अथवा नहीं मैं कभी इसकी चिंता नहीं करता और अब 70 वर्ष के लगभग आयु होने के बाद अब किस बात की क्यों चिंता करूँ क्यों सच लिखने से समझौता करूँ प्रत्येक समय में एक बयार चला करती हैं उस बयार से प्रभावित न तो मैं पहले प्रभावित हुआ और ना ही आगे प्रभावित नहीं होने के लिए प्रतिज्ञा बद्ध हूँ आपका सहयोग मिलेगा मेरे सर माथे यदि नहीं मिल सका तो यह मेरा दुर्भाग्य होगा लेकिन सच बोलने और लिखने की प्रवर्ती को त्याग सकूँ ऐसा मेरे लिए संभव नहीं लेकिन आप सभी मेरे लिए आदरणीय और सम्मानित साथी बने रहेंगे मैं यह आशा और विश्वास रखता हूँ और यह विश्वास सदा बना रहेगा ऐसी आशा और शुभकामनाओं के साथ मेरा आप सभी को अभिवादन और अभिन्दन
पत्रकार समाज का दर्पण